Monday, September 21, 2009

हिन्दी हैं हम

हिन्दी के नाम पर हर कोई रोना रो रहा है । हिन्दी दिवस की बेमानी को लेकर मीडिया शोर मचा रहा है । कमियां,बुराईयां खोजना आसान काम है । हिन्दी अपनी ताकत से लगातार आगे बढ़ रही है । हिन्दी की खानेवाले हिन्दी के नाम पर चल रहे पाखंड पर तो टिप्पणी करते हैं लेकिन इससे आगे कुछ नहीं करते बल्कि खुद उसीके शिकार हो जाते हैं । हिन्दी का संविधान में जो स्थान है,उसे लागू करने की सरकार की जो योजनाएं है । इसे लेकर हल्ला मचाने से कुछ नहीं होगा । हिन्दी के शुभचिंतकों को यदि वास्तव में हिन्दी की चिंता है तो उन्हें कोई ठोस योजना लेकर सामने आना चाहिए ।